संज्ञा किसे कहते है? परिभाषा, भेद और उदाहरण

Sangya Kise Kahte Hain, paribhasha, bhed aur udaharan

संज्ञा किसे कहते है? (Sangya Kise Kahte Hain)

संज्ञा शब्द संस्कृत के ‘सम्‘ उपसर्ग तथा ‘ज्ञा‘ धातु के मिलने से बना है। ‘ज्ञा‘ धातु का अर्थ है- बोध कराना। अतः इसका अर्थ होगा सम् अर्थात स्म्यक् प्रकार से बोध कराना अर्थात जानकारी देना। उदाहरण के लिये नीचे लिखे हुए वाक्य देखिये: –

  1. इस विद्यालय में बहुत छात्र है ।
  2. हमें देश की एकता के लिए प्रयत्न करना चाहिये ।
  3. गंगा भारत की प्रसिद्ध नदी है ।
  4. बुढ़ापा दुखों का घर है और यौवन आनंद का ।

=> ऊपर के वाक्यों में शब्द विद्यालय, छात्र, देश, एकता, गंगा, भारत, नदी, बुढ़ापा, दुखों, घर, यौवन, आनंद आदि वस्तु, स्थान, प्राणी भाव आदि के नाम है ।

संज्ञा की परिभाषा (Sangya Ki Paribhasha)

किसी वस्तु, स्थान, प्राणी या भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते है ।

उदाहरण:- राम, मोहन, लड़का, मनुष्य, हिमालय, गुलाब, गाय, सुन्दरता, प्रेम आदि ।

संज्ञा के कितने भेद है? (Sangya Ke Kitne Bhed Hain)

संज्ञा के मुख्य 5 भेद है :-

  1. जातिवाचक
  2. व्यक्तिवाचक
  3. भाववाचक
  4. द्रव्यवाचक
  5. समुदायवाचक

 

  1. जातिवाचक संज्ञा किसे कहते है? (Jativachak Sangya Kise Kahate Hain)

    जिस संज्ञा शब्द से सम्पूर्ण जाति का बोध हो अर्थात एक ही प्रकार की बहुत सी वस्तुओं में प्रत्येक का ज्ञान हो सके, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है।
    उदाहरण:- मनुष्य, पशु, नगर आदि ।

  2. द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते है? (Dravya Vachak Sangya Kise Kahate Hain)

    जिन संज्ञा शब्दों से उस सामग्री या पदार्थ का बोध हो जिनसे कोई वस्तु बनी हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
    उदाहरण:- सोना, चांदी, लोहा, घी, पानी फल आदि।

  3. भाववाचक संज्ञा किसे कहते है? (Bhav Vachak Sangya Kise Kahate Hain)

    जिन संज्ञाओं से किसी पदार्थ के विशेष गुण, धर्म तथा व्यापर आदि का ज्ञान हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है।
    उदाहरण:- मधुरता, वीरता, प्रेम, आनंद, क्रोध, भक्ति, बुढ़ापा, योवन आदि।

  4. समूहवाचक संज्ञा किसे कहते है? (Samuh Vachak Sangya Kise Kahate Hain)

    वह शब्द जिनसे किसी वस्तु या व्यक्ति के समूह होने का बोध होता हो, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहा जाता है। समूहवाचक संज्ञा को समुदायवाचक संज्ञा भी कहा जाता है ।
    उदाहरण:- झुंड, भीड़, टुकड़ी, दल, मेला, पुस्तकालय सेना, कक्षा, मेला, परिवार, आदि इन शब्दों में हमें समूह होने का बोध होता है ।
    सेना में सैनिकों के समूह का बोध होता है, परिवार में सदस्यों के होने का बोध होता है, कक्षा में सभी छात्रों के समूह के होने का बोध होता है आदि।

  5. व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते है? (Vyakti Vachak Sangya Kise Kahate Hain)

    जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का ज्ञान हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है।
    उदाहरण:- रोहित, सोहन, दिल्ली, भारत, गंगा, रामचरितमानस आदि।

ध्यान देने योग्य बातें : –
  • कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा बन जाती है । ऐसा तब होता है जब व्यक्ति विशेष के गुण किसी और में दिखाए जायें ।
    उदाहरण:- वी. पी. सिंह आज का चाणक्य है । यहाँ चाणक्य का प्रयोग चाणक्य के लिए नहीं हुआ है बल्कि ऐसे व्यक्ति के लिए हुआ है जो कूटनीतिज्ञ था । एक अन्य उदाहरण – राममूर्ति दूसरे भीम थे।
  • कभी – कभी जातिवाचक शब्द गुण विशेष के कारण व्यक्तिवाचक के समान प्रयोग होते है।
    उदाहरण:- गोस्वामी जी (तुलसीदास) की महान रचना रामचरितमानस है। यहाँ गोस्वामी शब्द जातिवाचक है, लेकिन प्रसिद्ध कवि तुलसीदास का विशेषण होने के कारण यह व्यक्तिवाचक बन गया है।
  • कभी-कभी भाववाचक संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा भी बन जाती है ।
    उदाहरण:- भारत की सुन्दरता जा रही है । यहाँ ‘सुन्दरता‘ नारियों का घ्योतक है ।

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