Glacier in Himachal Pradesh in Hindi – ग्लेशियर Theory

Glacier in Himachal Pradesh in Hindi Theory

Glacier in Himachal Pradesh in Hindi

हिमाचल के ग्लेशियर (हिमनद)

हिमाचल प्रदेश में ग्लेशियर को स्थानीय भाषा में ‘शिगड़ी‘ कहते है। ग्लेशियर को हिमनद के नाम से भी जाना जाता है। ग्लेशियर नदियों को पानी देते है व नदियों के उद्गम का प्रमुख स्रोत है।

(i) चन्द्रा घाटी के ग्लेशियर (लाहौल-स्पीति)

बड़ा शिगड़ी – यह हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा ग्लेशियर है, जो लाहौल-स्पीति में स्थित है। इस ग्लेशियर की लम्बाई 25 कि.मी. है और इस ग्लेशियर से चन्द्रा नदी को पानी मिलता है। इस ग्लेशियर से चन्द्रताल झील बनी है।

  • गेफांग ग्लेशियर – लाहौल के देवता फाग के नाम पर इसका नाम पड़ा है। गेफांग पर्वत चोटी को ‘लाहौल का मणिमहेश‘ कहा जाता है। इसकी आकृति स्विट्जरलैंड के ‘मैटर हॉर्न‘ के जैसी है।
  • चन्द्रा ग्लेशियर – यह ग्लेशियर चन्द्रा नदी एवं चन्द्रताल झील की उत्पत्ति का स्रोत है। यहाँ कोकसर के रास्ते पहुँचा जा सकता है। यह हिमनद बड़ा शिगड़ी से अलग होकर बना है।
  • कुल्टी ग्लेशियर – कोकसर के पास स्थित यह ग्लेशियर रोहतांग पार करने पर दिखता है। इसके अलावा छोटा शिगड़ी, पाचा, शिपतिंग. शामुद्री, बोलुनाग, तापन, दिंगकर्मों, शिल्ली हिमनद भी चंद्रा घाटी के लाहौल क्षेत्र में स्थित है।

(ii) भागा घाटी के ग्लेशियर (लाहौल-स्पीति)

  • भागा हिमनद – यह ग्लेशियर भागा नदी को जल प्रदान करता है। लाहौल की भागा घाटी में स्थित इस ग्लेशियर तक ‘कोकसर‘ एवं ‘ताण्डी‘ के रास्ते पहुँचा जा सकता है।
  • लेडी ऑफ केलांग हिमनद – 6061 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस ग्लेशियर को केलाँग से देखा जा सकता है। इसका नामकरण अंग्रेज महिला ‘लेडी एलशेनडे‘ द्वारा 100 वर्ष पूर्व किया गया था। बर्फ पिघलने पर इसकी आकृति महिला जैसी दिखती है।
  • मुक्किला ग्लेशियर – 6478 मीटर की ऊँचाई पर भागाघाटी में यह ग्लेशियर स्थित है जिससे भागा नदी को जल मिलता है। इसके अलावा मिलांग, गेंगस्तांग भागा घाटी के प्रमुख ग्लेशियर है।

(iii) पत्तन घाटी के ग्लेशियर (लाहौल)

  • सोनापानी ग्लेशियर – 1906 में वालकर तथा पासकोई ने पहली बार तथा 1957 में भारतीय भू-गार्भिक सर्वेक्षण के क्यूरिन एवं मुन्शी ने दूसरी बार इसका सर्वेक्षण किया। यह कुल्टी नाले के पास स्थित है।
  • पेराद ग्लेशियर – यहाँ पुतिरूणी से पहुँचा जा सकता है। यहाँ एक सुंदर गुफा है। पेराद का स्थानीय भाषा में अर्थ ‘टूटी हुई चट्टान‘ है।
  • मियार ग्लेशियर – लाहौल घाटी में स्थित यह ग्लेशियर मियार जलधारा को जल की आपूर्ति करता है। इसके अलावा शिल्पा, कुक्टी, नीलकण्ठ और लॅगर धोकसा पत्तन घाटी के प्रमुख ग्लेशियर है।

(iv) कुल्लू जिले के ग्लेशियर

  • दुधोन ग्लेशियर – कुल्लू जिले में 15 किमी. लम्बे इस ग्लेशियर से पार्वती नदी को पानी मिलता है।
  • पार्वती ग्लेशियर – पार्वती ग्लेशियर से पार्वती नदी को पानी मिलता है। यह भी 15 किमी. लम्बा है।
  • ब्यास कुण्ड ग्लेशियर – इस ग्लेशियर से व्यास नदी को पानी मिलता है। यह ग्लेशियर रोहतांग दरें के समीप स्थित है।

(v) काँगड़ा जिले के ग्लेशियर

  • भड्डल ग्लेशियर – यह ग्लेशियर काँगड़ा के बड़ा भंगाल क्षेत्र में पीर पंजाल पर्वत श्रेणियों की ढालों पर स्थित है। इससे भड्डल नदी (रावी की सहायक नदी) को जल मिलता है।

(vi) शिमला जिले के ग्लेशियर

  • चंद्रनाहन ग्लेशियर – यह ग्लेशियर शिमला जिले के रोहरू की चाशंल चोटी पर स्थित है जिससे पब्बर नदी को जल मिलता है।

(vii) किन्नौर जिले के ग्लेशियर

  • गारा ग्लेशियर – किन्नौर जिले में स्थित यह ग्लेशियर गारा खड्ड (सतलुज की सहायक खड्ड) को पानी प्रदान करता है।

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