History of Lahaul Spiti in Hindi – लाहौल-स्पीति का इतिहास

History of Lahaul Spiti in Hindi

History of Lahaul Spiti in Hindi – लाहौल-स्पीति का इतिहास

जिले के रूप में गठन  1 नवंबर, 1966
जिला मुख्यालय केलांग
जनसंख्या (2011 में)31,528
जनसंख्या  घनत्व (2011 में)2
कुल क्षेत्रफल13,833 वर्ग किमी
साक्षरता दर (2011 में)77.24%
लिंग अनुपात916
शिशु लिंगानुपात (2011 में)1013  (भारत में सर्वाधिक)
कुल गाँव521 (287 आबाद गाँव)
ग्राम पंचायतें204
विकास खंड2
तहसील2 (लाहौल, काजा)
उप-तहसील1 (उदयपुर)
विधानसभा सीटें1
लोकसभा क्षेत्र मंडी
भाषाभोटी, लाहौली भाषा
दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर (2001-2011)-5.1%

(i) भूगोल :-

 

1. भौगोलिक स्थिति :- लाहौल-स्पीति हिमाचल प्रदेश के उत्तर भाग में स्थित है। लाहौल-स्पीति के उत्तर में जम्मू-कश्मीर, पूर्व में तिब्बत, दक्षिण-पूर्व में किन्नौर, दक्षिण में कुल्लू, पश्चिम में चम्बा और दक्षिण-पश्चिम में काँगड़ा जिला स्थित है।

2. दर्रे :-

(क) रोहतांग दर्रा :- रोहतांग दर्रा लाहौल को कुल्लू से जोड़ता है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग – 21 पर स्थित है। रोहतांग का अर्थ है . लाशों का ढेर।

(ख) भंगाल दर्रा :- लाहौल और बड़ा भंगाल के बीच स्थित है।

(ग) शिंगडकोन दर्रा :- लाहौल और जास्कर के बीच स्थित है।

(घ) कुंजुम दर्रा :- लाहौल को स्पीति से जोड़ता है।

(ड) कुगती दर्रा :- लाहौल को भरमौर से जोड़ता है।

(च) बारालाचा दर्रा – लाहौल को लद्दाख से जोड़ता है। इस दर्रे पर जास्कर, स्पीति, लाहौल और लद्दाख की सड़कें आपस में मिलती है। इस दर्रे से चन्द्रभागा और यूनान नदियाँ निकलती है।

3. घाटियाँ :- लाहौल में तीन घाटियाँ है – चन्द्रा घाटी, भागा घाटी और चन्द्रभागा घाटी। चन्द्रा घाटी को रंगोली भी कहा जाता है। कोकसर इस घाटी का पहला गाँव है। भागा घाटी को गारा कहा जाता है। यह बारालाचा दर्रे से लेकर दारचा तक फैली है। चन्द्रभागा घाटी को पट्टन घाटी भी कहते है। स्पीती में पिन घाटी स्थित है। जो पिन नदी के साथ स्थित है। यह ढांखर के पास स्पीती घाटी से मिलती है। स्पीती घाटी स्पीती नदी से बनती है जो कुंजुमला से लेकर शुमडो (पारछू नदी शुमडो में स्पीती नदी में मिलती है) तक फैली है। स्पीती घाटी का गेटे गाँव (4270 मी.) विश्व का सबसे आबाद गाँव है।

~History of Lahaul Spiti in Hindi~

4. नदियाँ :- चन्द्रा, भागा, स्पीति और पिन लाहौल-स्पीति की प्रमुख नदियाँ है। चन्द्रा और भागा नदी बारालाचा दर्रे (4890 मी.) से निकलती है।

i) चन्द्रा नदी :- शिगड़ी ग्लेशियर से होते हुए टांडी तक बहती है। चन्द्रा नदी को बड़ा शिगड़ी और समुन्द्री ग्लेशियर से पानी मिलता है। खोकसर, सिस्सु, गोंदला चन्द्रा नदी के किनारे स्थित है।

ii भागा नदी :- बारालाचा दर्रे से निकलकर सूरजताल(सूर्य की झील) में प्रवेश करती है। दारचा में भागा नदी जास्कर नदी में मिलती है। दारचा और टांडी के बीच केलांग, खारडोंग, और गेमूर गाँव भागा नदी के किनारे स्थित है।

iii) स्पीति नदी :- स्पीति की और किन्नौर की प्रमुख नदी है। यह खाब के पास सतलुज नदी में मिलती है। मोरंग, रंगरीक, धनकर, ताबो स्पीति नदी के किनारे स्थित प्रमुख गाँव है।

iv) पिन नदी :- पिन नदी स्पीति नदी की सहायक नदी है।

5. ग्लेशियर :- एंड्रयू विल्सन ने 1873 ई. में लाहौल स्पीति को ग्लेशियर की घाटी कहा था। कैप्टन हारकोट ने 1869 ई. में शिगड़ी ग्लेशियर (लाहौल) को पार किया जो 25 कि.मी. लम्बा है। यह हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। सोनापानी ग्लेशियर 11 किमी. लम्बा है।

(ii) नामकरण :-

1. लाहौल :- लाहौल को गारजा और स्वांगला भी कहा जाता है। कनिंघम के अनुसार लाहौल का अर्थ ‘दक्षिण जिला‘ लद्दाख का। राहुल सांस्कृत्यायन ने लाहौल को “देवताओं की भूमि” कहा है जबकि एक अन्य अर्थ से इसे “दर्रे का देश” भी कहा जाता है। तिनान, पुनान और टोड भाषाओं (लाहौल की) में लाहौल को गारजा कहा गया है। मान्छद भाषा में लाहौल को स्वांगला कहा गया है। बुद्ध के पुत्र राहुल के नाम से भी लाहुल की उत्पति हो सकती है।
2. स्पीति :- स्पीति का शाब्दिक अर्थ है :- मणियों की भूमि। स्पीति का मुख्यालय काजा है। इससे पहले स्पीति का मुख्यालय ढांखर था।

(iii) इतिहास :-

1. प्राचीन इतिहास :- मनु की इस क्षेत्र का प्राचीन शासक बताया गया है । कनिष्क (कुषाण वंश) के समय यह क्षेत्र उनके कब्जे में था। गुप्त काल के बाद हर्षवर्धन (606-664 ई.) के समय लाहौल का संबंध हर्ष के साम्राज्य से पुन: जुड़ गया। ह्वेनसांग ने 635 ई.में कुल्लू और लाहौल की यात्रा की। 600 ई. के आसपास चम्बा ने लाहौल पर विजय प्राप्त की थी। लाहौल पर हर्ष के समय कुल्लू और चम्बा का कब्जा रहा जो स्वयं हर्ष के अधीन थे। जिससे लाहौल भी हर्ष के अधीन आ गया । ह्वेनसांग के अनुसार स्पीति पर सेन राजाओं का राज था जिसका पहला राजा समुद्रसेन था। स्पीति के राजा राजेन्द्र सेन ने कुछ समय तक कुल्लू को अपने अधीन किया। छेतसेन के समय (सातवीं सदी) स्पीति लद्दाख के अधीन आ गया। स्पीति के शासकों को ‘नोनो’ कहा जाता था।

2. मध्यकालीन इतिहास :-

  • 8वीं सदी में लाहौल कश्मीर का भाग बन गया था। उदयपुर के मृकुला देवी और त्रिलोकीनाथमें कश्मीर कला के नमूने मिले है। कश्मीर कला 11वीं सदी तक लाहौल में रही।
  • लाहौल पर लद्दाख के राजा ला-चन-उत्पल (1080-1110 ई.) का शासन तब से रहा जब से उसने कुल्लू पर आक्रमण कर उसे गाय और याक के मिश्रण ‘जो’ देने से मजबूर किया।
  • कश्मीर के राजा जैन-उल-बद्दीन (1420-1470 ई.) के तिब्बत आक्रमण के समय कुल्लू और लाहौल लद्दाख (तिब्बत) के अधीन थे।
  • कुल्लू के राजा बहादुरशाह (1532-1559 ई.) के समय लाहौल कुल्लू का भाग बन गया था। वर्ष 1631 ई. में भी लाहौल कुल्लू का भाग था।
  • चम्बा के राजाओं ने भी लाहौल के अधिकतर भाग पर अधिकार किया था। उदयपुर का मृकुला देवी मंदिर चम्बा के राजा प्रताप सिंह वर्मन द्वारा बनवाया गया था।
  • कुल्लू के राजा जगत सिंह (1637-1672 ई.) के समय लाहौल कुल्लू का भाग था। वर्ष 1681 ई. में मंगोलों ने लाहौल पर आक्रमण किया था क्योंकि यहाँ के लामा डुगपा मत के मानने वाले थे।
  • मुगलों की मदद से कुल्लू के राजा विधि सिंह (1672-88 ई.) ने लाहौल के ऊपरी क्षेत्रों पर कब्जा किया था। विधि सिंह के समय से थिरोट, कुल्लू और चम्बा के बीच की सीमा का निर्धारण करता था।
  • तिब्बत-लद्दाखी मुगल युद्ध (1681-83 ई.) में स्पीति काफी हद तक कुल्लू और लद्दाख से स्वतंत्र था।
  • कुल्लू के राजा मान सिंह (1690-1720 ई.) ने गोंदला किला बनवाया था।

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3. आधुनिक इतिहास :- गेमूर गोम्पा में कुल्लू के राजा विक्रम सिंह (1806-1816 ई.) का नाम एक शिलालेख में मिला है विलियम मूरक्राफ्ट की 1820 ई. में लाहौल यात्रा का विवरण भी यहाँ पर दर्ज है। विलियम मूरक्राफ्ट के अनुसार लाहौल तब लद्दाख के अधीन था। लाहौल की राजधानी उस समय में टांडी थी।

सिख :- 1840 ई. में लाहौल सिखों के कब्जे में आ गया। कनिंघम ने 1839 ई. में लाहौल की यात्रा की। सिखों के सेनापति जोरावर सिंह ने 1834-1835 ई. में लद्दाख/जास्कर और स्पीति पर आक्रमण किया।

  • 1846 ई. में अमृतसर संधि (अंग्रेजों और गुलाब सिंह) के बाद ‘स्पीति’ अंग्रेजों के अधीन आ गया था।
  • चम्बा लाहौल और ब्रिटिश लाहौल का विलय 1975 ई. में हुआ।
  • अंग्रेजों ने बलिराम को लाहौल का पहला नेगी बनाया।
  • 1857 ई. के विद्रोह के समय स्पीति के ‘नोनो वजीर’ ने अंग्रेजों की मदद की थी। प्रथम विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों ने लाहौल के वजीर अमीरचंद को ‘रायबहादुर’ (1917 ई.) की उपाधि प्रदान की।
  • 1947 ई. को लाहौल-स्पीति उपतहसील बनी और उसका मुख्यालय केलांग बनाया गया। पंजाब सरकार ने लाहौल-स्पीति को 1960 में जिला बनाया। वर्ष 1966 ई. में लाहौल-स्पीति का विलय हिमाचल प्रदेश में हो गया।

(iv) कला, संस्कृति, मेले और गोम्पा :-

1. गोम्पा – खारंदोग, शांशुर, गेमूर और गुरुघंटाल गोम्पा लाहौल में और ताबो, की और धाकंर गोम्पा स्पीति में स्थित है। ताबो, की और धाकंर गोम्पा स्पीति नदी के किनारे स्थित है। गेमूर गोम्पा भागा नदी के किनारे स्थित है । ‘की’ हिमाचल प्रदेश का । सबसे ऊंचा व बड़ा गोम्पा है। ताबो गोम्पा विश्व का प्राचीनतम
गोम्पा है।

2. धर्म – लाहौल में हिन्दू और बौद्ध धर्म दोनों को मानने वाले लोग हैं। गेफांग, डाबला और तंग्यूर यहाँ के प्रमुख देवता हैं। स्पीती में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं।

3. विवाह – लाहौल में तभाग्स्टन / मोथेबियाह व्यवस्थित / तय विवाह है। कुनमाईभाग्स्टन / कौन्ची विवाह भाग कर किया गया विवाह है।

4. त्योहार / उत्सव

(i) लदारचा – यह मेला हर वर्ष जुलाई में किब्बर गाँव में लगता है।

(ii) सिस्सु मिला – यह मेला जून में शांशुर गोम्पा, जुलाई में।

(iii) सिस्सु मिला – यह मेला जून में शांशुर गोम्पा, जुलाई में । गेमूर गोम्पा और अगस्त में गोंदला के मनी गोम्पा में लगता है।

(iv) फागली मेला – फागली या कुन मेला फरवरी की आमावस्या को पट्टन घाटी में लगता है। यह फाल्गुन के आने का संकेत देता है।

(v) पौरी मेला – यह मेला अगस्त में त्रिलोकीनाथ मंदिर में लगता है जहाँ शुद्ध घी का दीपक पूरे वर्ष जलता है।

(vi) हाल्दा/लोसर – हाल्दा या लोसर लाहौल का नववर्ष आगमन का त्योहार है जो दीवाली के जैसा है।

5. लोकनृत्य – शेहनी, धूरे, घारफी (लाहौल-स्पीति का सबसे पुराना नृत्य)।

6. पेय – छांग जो चावल, जौ, गेहूँ, से बनती है एक देशी शराब।

7. ताण्डी – ताण्डी गाँव तन-देही से उत्पन्न हुआ है। ताण्डी में द्रौपदी ने अपना तन छोड़ा था। ऋषि विशिष्ठ को ताण्डी में दफनाया गया था। ताण्डी में सूर्य के बेटे का चंद्रमा की बेटी से विवाह हुआ था।

(v) अर्थव्यवस्था :-

जर्मन पादरी A.W.Hide ने 1857 ई. में। लाहौल में आलू की खेती शुरू करवाई थी। कुठ की खेती। 1925 ई. में शुरू हुई। लाहौल ने प्रति हेक्टेयर आलू उत्पादन में नीदरलैंड को पछाड़कर प्रथम स्थान पाया है। लाहौल में करू, पतिश और काला जीरा जबकि स्पीति में रतनजोत मिलता है। काजा में 1978 ई. में ADC के पद को सृजित किया गया। लाहौल स्पीती में 1978 ई. में ‘मरुस्थल विकास कार्यक्रम’ शुरू किया गया। रेजिन अंगूर रिसर्च सब-स्टेशन की थिरोट स्थापना की गई। कुठ और सूखे मेवे अनुसंधान केंद्र की स्थापना केलांग में हुई है।

विविध :-

केलांग में 1869 ई. में पोस्ट ऑफिस की स्थापना की गई। काजा में 1939 ई. में पोस्ट ऑफिस की शाखा खुली। जर्मन पादरी हाईड द्वारा 1861 ई. में केलांग में स्कूल खोला गया। स्पीति के काजा में 1932 ई. में स्कूल खोला गया।

(vi) जननांकीय आँकड़े :-

लाहौल-स्पीति की जनसंख्या 1901 ई. में 12,392 थी जो 1951 में बढ़कर 15,338 हो गई। वर्ष 1971 ई. में लाहौल-स्पीति की जनसंख्या 27,568 थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 31,528 हो गई| लाहौल-स्पीति का लिंगानुपात 2011 में 916 हो गया। वर्ष 2001-2011 में लाहौल-स्पीति लिंगानुपात में सर्वाधिक (+114 वृद्धि) वृद्धि दर्ज करने वाला जिला था। उसका लिंगानुपात 2011 में 802 से बढ़कर 916 हो गया। शिशु लिंगानुपात (0-6 वर्ष) में लाहौल-स्पीति 2011 में 1013 लिंगानुपात के साथ न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि भारत के सभी जिलों में प्रथम स्थान पर आया है। लाहौल-स्पीति में कुल 521 गाँव है जिसमें 287 आबाद गाँव है। लाहौल-स्पीति में 41 ग्राम पंचायतें है।

(vii) लाहौल-स्पीति का स्थान :-

लाहौल-स्पीति की जनसंख्या 2011 में 31,528 (0.46%) थी जो कि 12 जिलों में न्यूनतम है। लाहौल-स्पीति में सबसे कम (नकारात्मक) दशकीय जनसंख्या वृद्धि 2001-2011 में दर्ज की गई है जो कि -5.10% थी। लाहौल-स्पीति 2011 में दूसरा सबसे कम साक्षर जिला है चम्बा के बाद। लाहौल-स्पीति के लिंगानुपात में +114 वृद्धि दर्ज की गई है। लाहौल-स्पीति का जनघनत्व 2011 में भी न्यूनतम है। लाहौल-स्पीति में सबसे कम वर्षा, सबसे कम कृषि भूमि है।

लाहौल-स्पीति और किन्नौर में 100% जनसंख्या निवास करती है। लाहौल-स्पीति का क्षेत्रफल 13,835 वर्ग किमी. (24.85%) 12 जिलों में सर्वाधिक है। लाहौल-स्पीति में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल (10,138 वर्ग किमी.) है जबकि यह सबसे कम वनाच्छादित क्षेत्रफल 193 वर्ग किमी. (1.39 %) है। लाहौल-स्पीति में चम्बा के बाद सबसे अधिक चरागाह है। लाहौल-स्पीति में सबसे कम बकरियाँ और गाय बैल है। लाहौल-स्पीति में सबसे कम फलों का उत्पादन होता है। लाहौल-स्पीति में किन्नौर के बाद सबसे कम सड़कों की लंबाई (1218 वर्ग किमी.) है।

(viii) स्थान –

(i) लोसर :- लोसर स्पीति का अंतिम गाँव है।

(ii) ताबो :- काजा के पास ताबो गोम्पा स्थित है। इस गोम्पा के भित्ति चित्र अजंता के भित्ति चित्रों से मेल खाते हैं। यह गोम्पा 1975 ई. के भूकम्प में क्षतिग्रस्त हो गया था। ताबो मठ महायान के ‘गेलुक्पा’ मत से है।

(iii) ‘की’ गोम्पा :- स्पीति नदी के बाएं किनारे पर स्थित यह गोम्पा स्पीति का सबसे बड़ा गोम्पा है जो 1975 ई. के भूकम्प से क्षतिग्रस्त हो गया था।

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