Una District History in Hindi – ऊना जिले का इतिहास
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जिले के रूप में गठन | 1972 ई. |
जिला मुख्यालय | उना |
जनसंख्या (2011 में) | 5,21,173 |
जनसंख्या घनत्व (2011 में) | 338 |
कुल क्षेत्रफल | 1540 वर्ग किलोमीटर (2.77%) |
साक्षरता दर (2011 में) | 87.23% |
लिंग अनुपात | 976 |
शिशु लिंगानुपात (2011 में) | 870 |
कुल गाँव | 814 (आबाद गाँव-758) |
ग्राम पंचायतें | 234 |
विकास खंड | 5 (ऊना, अम्ब, गगरेट, धुन्दला (बंगाणा) और हरोली) |
विधानसभा सीटें | 5 |
लोकसभा क्षेत्र | हमीरपुर |
ग्रामीण जनसंख्या | 4,76,140 (91.38%) |
भाषा | हिंदी, पहाड़ी और पंजाबी |
उप मण्डल | 4 (ऊना, अम्ब, हरोली और बंगाणा) |
तहसील | 5 (ऊना, अम्ब, बंगाणा, हरोली, घनारी) |
उप-तहसील | 7 (भरवायीं, ईसपुर, जोल, दुलेहर, बीहरू कलां , कलोह, मेहतपुर बसदेहरा) |
ऊना जिले का भूगोल
- भगौलिक स्थिति : – उना हिमाचल प्रदेश के पश्चिम भाग में स्थित है। इसके उतर में कांगड़ा, पश्चिम में पंजाब राज्य, पूर्व में हमीरपुर और दक्षिण में बिलासपुर जिले की सीमाएं लगती है। उन जिला 31° 21’ से 31° 50’ उतरी अंक्षास और 76° 18’ से 76° 28’ पूर्वी देशांतर के बिच स्थित है।
- पर्वत श्रृंखलाएं : – उना जिला हिमालय पर्वत श्रेणी की शिवालिक पर्वतमालाओं के अंचल में बसा है। उना को पश्चिम में जसवां दून की पहाड़ियाँ पंजाब से अलग करती है। उना शहर दून के मध्य में स्थित है। उना जिले के पूर्व में जसवांधार या चिंतपुर्णि धार है। जिसे हमीरपुर जिले में सोलह सिंगी धार के नाम से जाना जाता है। भरवैन इसकी सबसे ऊँची चोटी है।
- नदियाँ : – व्यास और सतलुज के बीच बसे ऊना की प्रमुख नदी स्वान है। यह जस्वां घाटी में बहती हुई आनंदपुर साहिब के पास सतलुज नदी में मिलती है।
- मेले : – ऊना जिले में चिंतपूर्णी मेला, बसौली में पीर निगाहा मेला, मैड़ी में बाबा बड़भाग सिंह मेला प्रसिद्ध है।
- अर्थव्यवस्था : – ऊना जिले के पेखूबेला में बीज संवर्धन फार्म है। ऊना जिला कागजी नींबू, किन्नू, माल्टा, संतरे और आम के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। सरकार ने अन्जोली में एक पोल्ट्री फार्म खोला है। ऊना जिले के 3 स्थानों (जलेरा, बंगाणा और (पुबोवाल) में दुग्ध अभिशीतन केन्द्र है। मेहतपुर ऊना जिले का औद्योगिक केंद्र है। ऊना-नंगल रेल लाइन 1991 ई. में बनाई गई। यह ब्रॉड गेज रेल लाइन है।
- जननांकीय आंकड़े : – ऊना जिले की जनसंख्या 1901 ई. में 1,65,000 से बढ़कर 1951 ई. में 1,96,829 हो गई। वर्ष 1971 ई. में ऊना जिले की जनसंख्या 2,61,357 से बढ़कर 2011 में 5,21,057 हो गई। ऊना जिले की जनसंख्या में 1911 से 1921 के बीच (-2.37%) गिरावट दर्ज की गई जबकि 1971 से 1981 के बीच (21.45%) सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई। ऊना जिले का लिंगानुपात 1911 ई. में 900, 1951 में 936, 1971 में 1003, और 2011 में 977 था।
ऊना जिले का लिंगानुपात 1981 में (1028) सर्वाधिक तथा 1911 में (900) न्यूनतम था। ऊना जिले का जनघनत्व 1971 ई. में 178 से बढ़कर 2011 निवास करती थी। ऊना जिले में 235 ग्राम पंचायतें, 758 आबाद गाँव, 5 विकासखण्ड और विधानसभा क्षेत्र है। ऊना जिले की 2011 में 91.38% जनसंख्या ग्रामीण और 8.62% जनसंख्या शहरी थी। दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 16.24% रही जो कि 12 जिलों में सर्वाधिक है।
ऊना जिले का इतिहास क्या है? History of Una District
ऊना जिला मुख्यतः जस्वां रियासत और कुटलेहर रियासत के अंतर्गत आता था। पूर्व में ये दोनों रियासतें काँगड़ा रियासत का हिस्सा थी।
1. जस्वां रियासत : – ऊना जिले का अधिकतर भाग जस्वां रियासत के अंतर्गत आता था जो कि काँगड़ा रियासत की प्रशाखा थी। जस्वां रियासत की स्थापना कांगड़ा के कटोच वंश के राजा पूर्वचंद ने 1170 ई. में की थी। इसकी राजधानी अम्ब के पास राजपुर में स्थित थी। जस्वां रियासत काँगड़ा से टूटकर बनने वाली पहली रियासत थी। इस रियासत के उत्तर में सिब्बा और दत्तारपुर तथा पूर्व में काँगड़ा, कुटलेहर और कहलूर राज्य स्थित थे।
इस रियासत पर पूर्वचंद से लेकर उम्मेद सिंह तक 27 राजाओं ने शासन किया। मुगल काल में अकबर के समय जस्वां रियासत मुगलों के अधीन आ गई। उस समय जस्वां का राजा गोविंद चंद था। गोविंद चंद के पोते अनिरुद्ध चंद ने दो बार मुगलों के विरुद्ध विद्रोह किया। संसारचंद के आक्रमण के समय जस्वां संसारचंद के कब्जे में आ गया। संसारचंद के विरुद्ध उम्मेद चंद ने गोरखों का साथ दिया था। जस्वां रियासत पर 1815 ई. में सिखों ने कब्जा कर लिया।
वर्ष 1848 ई. में दूसरे सिक्ख युद्ध में उम्मेद सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध सिखों का साथ दिया। उम्मेद सिंह और उसके पुत्र जय सिंह को गिरफ्तार कर अल्मोड़ा भेज दिया गया जहां उनकी मृत्यु हो गई। 1879 ई. में उम्मेद सिंह के पोते रणसिंह ने अपने पुरखों की रियासत के 21 गाँवों पर कब्जा कर लिया था।
2. कुटलेहर रियासत : – कुटलेहर रियासत भी ऊना जिले का हिस्सा थी जो काँगड़ा रियासत से टूटकर बनी थी। कुटलेहर रियासत को पूर्व में चौकी कुटलेहर के नाम से जाना जाता था। कुटलेहर काँगड़ा क्षेत्र की सबसे छोटी रियासत थी। इस रियासत पर 40 राजाओं ने शासन किया। कुटलेहर रियासत की स्थापना जसपाल नामक ब्राह्मण ने की। उसने अपनी राजधानी कोट-कहलूर में स्थापित की। जसपाल के पुत्र और पोते ने भज्जी और कोटी रियासतों की स्थापना की थी।
कुटलेहर रियासत के उत्तरी प्रांत चौकी पर 1758 ई. में घमण्डचंद ने कब्जा कर लिया था। संसारचंद ने 1786 ई. में कुटलेहर पर कब्जा किया जिसे बाद में गोरखाओं ने आजाद करवाया। वर्ष 1809 ई. में राज्य सिक्खों के अधीन आ गया। कुटलेहर के राजा नारायण पाल ने 1825 ई. में रणजीत सिंह से कौटबालवाह किले के लिए युद्ध किया। कुटलेहर रियासत का अंतिम राजा वृजमोहन पाल था। वेदी विक्रम सिंह ने 1848 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। बेदी सुजान सिंह ने ऊना शहर को 1848 ई. में पुनः बेदी शासन के अधीन लाया।
3. स्वतंत्रता संग्राम : – ऊना जिले में 19 मई, 1857 ई. को विद्रोह भड़का। ऊना जिले से सर्वप्रथम 1905 ई. में बाबा लछमन दास आर्य ने स्वाधीनता आंदोलन में प्रवेश किया। उन्हें 1908 ई. में गिरफ्तार कर लाहौर जेल भेजा गया। बाबा लक्ष्मण दास के पुत्र सत्य प्रकाश बागी, महाशय तीर्थ राम ओयल, गोपीचंद भार्गव ऊना जिले के स्वतंत्रता सेनानी थे।
4. जिले की स्थापना : – वर्तमान ऊना जिला 1966 ई. से पूर्व पंजाब के होशियारपुर जिले की तहसील थी। वर्ष 1966 ई. से 1972 ई. तक ऊना कांगड़ा जिले का भाग था। वर्ष 1972 ई. में ऊना को जिले का दर्जा प्रदान किया गया। ऊना शहर की नींव बाबा कलाधारी ने रखी थी।
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